M.A.2nd Sem, KU-Women's Studies, Paper-3, Unit-II (Feminists' debate on development and change)Class Notes
By
Dr. Farzeen Khan
Unit-II: विकास और परिवर्तन पर नारीवादियों की बहस
यह यूनिट निम्नलिखित विषयों के आधार पर विकास और परिवर्तन पर नारीवादियों की बहस को समझने का पृयास करेगी:
1.विकास में महिलाएँ (WID) बनाम लिंग और विकास (GAD)
I. प्रारंभिक विकास मॉडल ने लिंग को नज़रअंदाज़ किया; बाद के दृष्टिकोणों ने समावेश पर ध्यान केंद्रित किया
II. आर्थिक सशक्तीकरण और लिंग-संवेदनशील नीतियों पर नारीवादी दृष्टिकोण
2. वैश्वीकरण और नवउदारवाद का प्रभाव
I. कार्यबल में महिलाएँ: अवसर और शोषण
II. अनौपचारिक क्षेत्र में रोज़गार और वेतन असमानताएँ
III. गरीबी का नारीकरण और संसाधनों तक पहुँच की कमी
3. महिला आंदोलन और परिवर्तन
I. नारीवाद की लहरें और नीति-निर्माण पर उनका प्रभाव।
II. लिंग-संवेदनशील कानूनों को आकार देने में जमीनी स्तर के आंदोलनों की भूमिका
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परिचय
नारीवादियों का मानना है कि विकास और परिवर्तन के लिए महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना ज़रूरी है. नारीवादी दृष्टिकोण से, विकास और परिवर्तन के लिए भेदभाव और असमानता को दूर करना ज़रूरी है. नारीवादी विकास नीतियां, अन्याय के मूल कारणों को दूर करके सभी लिंगों के लिए समानता बढ़ाती हैं.
नारीवादी दृष्टिकोण से विकास और परिवर्तन के लिए ज़रूरी बातें:
- महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ को सुनना और उन्हें सशक्त बनाना
- शक्तिशाली लोगों को उनके मानवाधिकार दायित्वों के लिए जवाबदेह ठहराना
- विविधता और समावेश को बढ़ावा देना
- लिंग, जाति, और वर्ग जैसी असमानताओं को दूर करना
- महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना
नारीवादियों ने लंबे समय से यह बहस की है कि विकास (Development) और सामाजिक परिवर्तन (Social Change) महिलाओं के जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं। शुरूआती विकास मॉडल महिलाओं की भूमिका को नज़रअंदाज करते थे, लेकिन बाद में लैंगिक समावेशन (Gender Inclusion) को महत्व दिया जाने लगा। इस बहस के प्रमुख मुद्दे महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, वैश्वीकरण का प्रभाव, और महिला आंदोलनों की भूमिका हैं।
1. विकास में महिलाएँ (Women in Development - WID) बनाम लिंग और विकास (Gender and Development - GAD)
विकास के क्षेत्र में नारीवादी दृष्टिकोण समय के साथ विकसित हुए हैं, जिनमें प्रमुखतः दो दृष्टिकोण सामने आए हैं: 'विकास में महिलाएं' (Women in Development - WID) और 'लिंग और विकास' (Gender and Development - GAD)। इन दोनों दृष्टिकोणों का उद्देश्य महिलाओं की स्थिति में सुधार करना है, लेकिन उनकी रणनीतियाँ और दृष्टिकोण भिन्न हैं।
प्रारंभिक विकास मॉडल और लिंग की अनदेखी
प्रारंभिक विकास मॉडल में लिंग के मुद्दों की अनदेखी की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं की आवश्यकताओं और योगदानों को पर्याप्त मान्यता नहीं मिली।
पहले के विकास मॉडल मुख्य रूप से आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) और औद्योगीकरण (Industrialization) पर केंद्रित थे, जिससे महिलाओं की भूमिका और उनके मुद्दों को दरकिनार कर दिया गया।
महिलाओं को "अर्थव्यवस्था के लाभार्थी" के रूप में देखा जाता था, न कि आर्थिक उत्पादन में भागीदार के रूप में।
महिलाओं की घरेलू श्रम (Unpaid Domestic Work) और देखभाल कार्य (Care Work) को विकास नीति में शामिल नहीं किया गया।
उदाहरण:
- 1950-60 के दशक में कई विकास योजनाओं में महिलाओं की भूमिका को कृषि और घरेलू कार्यों तक सीमित रखा गया।
- औद्योगीकरण में पुरुषों को प्राथमिकता दी गई, जबकि महिलाएँ श्रम शक्ति में पीछे रह गईं।
'विकास में महिलाएं' (WID) दृष्टिकोण
WID का उद्देश्य
उत्पत्ति और पृष्ठभूमि
WID दृष्टिकोण 1960-1970 के दशक में उभरा, जब यह महसूस किया गया कि विकास परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी की अनदेखी की जा रही है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य महिलाओं को विकास प्रक्रिया में शामिल करना था ताकि उनकी उत्पादकता बढ़ाई जा सके और उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके।
एस्थर बोसेरप (1910-1999): उनकी पुस्तक "Women's Role in Economic Development" (1970) में उन्होंने तर्क दिया कि महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने से समग्र विकास में वृद्धि होगी।
मुख्य विशेषताएँ
- - महिलाओं का एकीकरण: महिलाओं को कार्यबल में शामिल करना और उनकी उत्पादकता बढ़ाना।
- प्रायोगिक आवश्यकताओं पर ध्यान: महिलाओं की व्यावहारिक आवश्यकताओं, जैसे कौशल विकास और आय सृजन, पर ध्यान केंद्रित करना।
- सीमाएँ:
WID दृष्टिकोण को आलोचना मिली कि यह पुरुषों और महिलाओं के बीच शक्ति संबंधों का विश्लेषण नहीं करता और केवल महिलाओं की व्यावहारिक आवश्यकताओं पर ध्यान देता है, जिससे संरचनात्मक असमानताएँ बनी रहती हैं।
यह केवल महिलाओं को कार्यबल में जोड़ने पर केंद्रित था, लेकिन पितृसत्ता और संरचनात्मक असमानता को चुनौती नहीं देता था।
'लिंग और विकास' (GAD) दृष्टिकोण
यह पितृसत्ता, शक्ति संरचनाओं और आर्थिक नीतियों की गहरी जांच करता है।
उत्पत्ति और पृष्ठभूमि
1980 के दशक में GAD दृष्टिकोण उभरा, जो WID की सीमाओं को पहचानते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है। यह दृष्टिकोण लिंग संबंधों और सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण करता है जो महिलाओं की अधीनस्थ स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
कैरोलीन मोसर: उन्होंने GAD के लिए "लैंगिक योजना रूपरेखा" विकसित की, जो विकास योजनाओं में लैंगिक विश्लेषण को शामिल करने पर जोर देती है।
मुख्य विशेषताएँ
- सामाजिक निर्माण का विश्लेषण: पुरुषों और महिलाओं के बीच सामाजिक रूप से निर्मित अंतर और शक्ति संबंधों का अध्ययन।
- समानता पर ध्यान: विकास प्रक्रिया में पुरुषों और महिलाओं दोनों की समान भागीदारी और लाभ सुनिश्चित करना।
- संरचनात्मक परिवर्तन: सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक संरचनाओं में परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर देना जो लिंग असमानताओं को बनाए रखते हैं।
WID और GAD के बीच अंतर
दृष्टिकोण का फोकस:
WID: महिलाओं को विकास प्रक्रिया में शामिल करना।
GAD: लिंग संबंधों और सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण करना।
रणनीति:
WID: महिलाओं की व्यावहारिक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करना।
GAD: महिलाओं की रणनीतिक आवश्यकताओं, जैसे निर्णय लेने में भागीदारी और कानूनी अधिकार, पर ध्यान देना।
सीमाएँ:
WID: शक्ति संबंधों का विश्लेषण नहीं करता।
GAD: सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों की अनदेखी करने के लिए आलोचना की गई है।
नारीवादी दृष्टिकोण: आर्थिक सशक्तिकरण और लिंग-संवेदनशील नीतियाँ
आर्थिक सशक्तिकरण (Economic Empowerment):
नारीवादी दृष्टिकोण के अनुसार, महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण उनके समग्र सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें महिलाओं की आय बढ़ाने, संपत्ति के स्वामित्व, और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाता है।
- महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता (Financial Independence) महत्वपूर्ण है
- स्व-रोज़गार, लघु उद्योग, और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत है।
- महिलाओं को ऋण योजनाओं और वित्तीय संसाधनों तक पहुँच मिलनी चाहिए।
- उदाहरण: भारत में "सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs)" महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने में मदद कर रहे हैं।
लैंगिक-सम्वेदनशील नीतियाँ (Gender-Sensitive Policies):
लिंग-संवेदनशील नीतियाँ उन नीतियों को संदर्भित करती हैं जो लिंग आधारित असमानताओं को पहचानती हैं और उन्हें दूर करने का प्रयास करती हैं। इन नीतियों का उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान अवसर और संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करना है।
- महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश (Maternity Leave), समान वेतन (Equal Pay), और कार्यस्थल सुरक्षा जैसे कानून जरूरी हैं।
- उदाहरण: भारत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया है।
निष्कर्ष
WID और GAD दोनों दृष्टिकोणों का उद्देश्य महिलाओं की स्थिति में सुधार करना है, लेकिन उनकी रणनीतियाँ और दृष्टिकोण भिन्न हैं। WID जहां महिलाओं के एकीकरण पर ध्यान देता है, वहीं GAD लिंग संबंधों और सामाजिक संरचनाओं के विश्लेषण पर जोर देता है। वर्तमान में, विकास नीतियों में GAD दृष्टिकोण को अधिक समग्र और प्रभावी माना जाता है।
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2 वैश्वीकरण, नवउदारवाद और महिलाऐं: नारीवादी दृष्टिकोण
परिचय:
वैश्वीकरण क्या है?
नवउदारवाद क्या है
- मुक्त व्यापार (टैरिफ और व्यापार बाधाओं को कम करना)
- विनियमन में कमी (सरकार के व्यापार नियंत्रण को कम करना)
- निजीकरण (सार्वजनिक सेवाओं को निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करना)
- कल्याणकारी योजनाओं में कटौती (स्व-निर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी सामाजिक खर्च को कम करना)
नवउदारवादी नीतियाँ:
नवउदारवादी नीतियों में शामिल हैं:
वैश्वीकरण और नवउदारवाद का महिलाओं पर प्रभाव: नारीवादी दृष्टिकोण
नवउदारवादी वैश्वीकरण का महिलाओं पर मिश्रित प्रभाव पड़ा है:
I. महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी: अवसर और शोषण
- वैश्वीकरण ने महिलाओं के लिए नई नौकरियों और व्यावसायिक अवसरों को जन्म दिया।
- लेकिन यह उनके शोषण (Exploitation) और असुरक्षा (Job Insecurity) को भी बढ़ा सकता है।
- महिला श्रम शक्ति (Female Workforce Participation) में वृद्धि हुई, लेकिन कई महिलाओं को अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector) में काम करना पड़ा।
उदाहरण:
- भारत की "गारमेंट इंडस्ट्री (Garment Industry)" में काम करने वाली महिलाएँ कम वेतन और असुरक्षित श्रम परिस्थितियों का सामना करती हैं।
- बांग्लादेश की रेडीमेड गारमेंट्स (RMG) इंडस्ट्री में 80% से अधिक महिलाएँ कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतन मिलता है।
II. अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार और वेतन असमानता (Informal Sector Employment and Wage Disparities)
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था (Informal Economy) में काम करने वाली महिलाओं को कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती।
- महिलाओं को कम वेतन (Wage Gap) दिया जाता है, जबकि पुरुषों को समान काम के लिए अधिक वेतन मिलता है।
- घरेलू कामगार, निर्माण श्रमिक, और अस्थायी मजदूर महिलाओं के शोषण का सबसे अधिक शिकार होते हैं।
उदाहरण:
III. महिला गरीबीकरण (Feminization of Poverty) और संसाधनों की कमी
- नवउदारवादी नीतियों के कारण महिलाओं की आर्थिक असुरक्षा (Economic Insecurity) बढ़ गई है।
- भूमि अधिकार (Land Rights), ऋण तक पहुँच (Access to Credit), और सामाजिक सुरक्षा (Social Security) में महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
- महिलाओं की गरीबी पुरुषों की तुलना में अधिक होती जा रही है।
उदाहरण:
वैश्वीकरण पर नारीवादी आलोचना: विस्तृत विश्लेषण
1. आर्थिक न्याय और महिलाओं का शोषण
नारीवादी वैश्वीकरण की आर्थिक नीतियों की आलोचना क्यों करते हैं?
(i) असंगठित क्षेत्र और निम्न वेतन:
(ii) कार्य स्थितियाँ और सामाजिक सुरक्षा का अभाव:
(iii) लिंग-आधारित असमानता:
2. प्रवासन और महिलाओं का शोषण
महिलाओं का प्रवासन कैसे उन्हें नए शोषण और असुरक्षा में डालता है?
(i) घरेलू कामगार और असुरक्षा:
(ii) लैंगिक तस्करी (Human Trafficking):
(iii) अस्थिरता और शरणार्थी संकट:
3. मानवाधिकारों का उल्लंघन और वैश्वीकरण
वैश्वीकरण महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन कैसे करता है?
(i) श्रम अधिकारों का उल्लंघन:
(ii) स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव:
(iii) सांस्कृतिक उपनिवेशवाद और पितृसत्तात्मक मूल्य:
4. लोकतंत्र और वैश्विक शासन पर प्रभाव
वैश्वीकरण के कारण लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का क्षरण कैसे हुआ?
(i) बहुराष्ट्रीय निगमों (MNCs) का प्रभुत्व:
(ii) महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में बाधा:
(iii) श्रमिक आंदोलनों और नागरिक संगठनों को कमजोर करना:
समाधान के लिए संभावित कदम:
निष्कर्ष:
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3. महिला आंदोलन और सामाजिक परिवर्तन (Women’s Movements and Change)
महिला आंदोलन: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारतीय नारीवादी आंदोलनों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
1. प्रारंभिक सुधारवादी आंदोलन (19वीं सदी)
प्रमुख व्यक्तित्व:
प्रमुख आंदोलन:
2. स्वतंत्रता संग्राम और महिला सहभागिता (1916-1947)
प्रमुख व्यक्तित्व:
प्रमुख आंदोलन:
3. स्वतंत्रता के बाद का काल (1947-1980)
प्रमुख व्यक्तित्व:
प्रमुख आंदोलन:
4. समकालीन नारीवादी आंदोलन (1980-वर्तमान)
प्रमुख व्यक्तित्व:
प्रमुख आंदोलन:
5. स्थानीय महिला आंदोलनों की भूमिका (Role of Grassroots Movements in Gender-Sensitive Laws)
- स्थानीय महिला संगठन और आंदोलन समाज में लैंगिक असमानता के मुद्दों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- घरेलू हिंसा, दहेज, बाल विवाह, यौन उत्पीड़न जैसे विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए स्थानीय आंदोलनों ने सरकार को नीतियाँ बनाने के लिए मजबूर किया।
उदाहरण:
- "गुलाबी गैंग" (Gulabi Gang, उत्तर प्रदेश) – यह संगठन घरेलू हिंसा और महिला उत्पीड़न के खिलाफ काम करता है।
- SEWA" (Self-Employed Women’s Association) – महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करता है।
- भारत में "निर्भया आंदोलन" (2012) – इसने महिला सुरक्षा कानूनों में सुधार की मांग की।
नारीवादी दृष्टिकोण: विकास और परिवर्तन
- महिला सशक्तिकरण: नारीवादी आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है। इसके लिए उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की वकालत की और पितृसत्तात्मक समाज की संरचनाओं को चुनौती दी। इन आंदोलनों ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने, निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने, और समाज में समान भागीदारी के लिए प्रेरित किया।
- शिक्षा: शिक्षा के क्षेत्र में नारीवादी आंदोलनों ने लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने महिला शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया और इसके लिए नीतिगत सुधारों की मांग की। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि हुई और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में करियर बनाने के अवसर मिले।
- स्वास्थ्य: स्वास्थ्य के क्षेत्र में, नारीवादी आंदोलनों ने महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य, मातृ मृत्यु दर, और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाए और सरकारों से नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की।
- राजनीतिक भागीदारी: राजनीतिक क्षेत्र में, नारीवादी आंदोलनों ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने महिलाओं के लिए आरक्षण, राजनीतिक दलों में उनकी भागीदारी, और निर्णय लेने वाली संस्थाओं में उनकी उपस्थिति बढ़ाने के लिए अभियान चलाए। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, कई देशों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि हुई है।
- आर्थिक स्वतंत्रता: आर्थिक क्षेत्र में, नारीवादी आंदोलनों ने महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए कार्य किया। उन्होंने समान वेतन, कार्यस्थल में भेदभाव के खिलाफ कानून, और महिलाओं के लिए उद्यमिता के अवसर बढ़ाने के लिए अभियान चलाए। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और उन्हें आर्थिक निर्णयों में अधिक स्वतंत्रता मिली।
विकास के प्रति नारीवादी दृष्टिकोण
सामाजिक परिवर्तन में महिला आंदोलनों की भूमिका
निष्कर्ष:
- महिलाओं के विकास और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए WID से GAD तक का बदलाव महत्वपूर्ण रहा है।
- वैश्वीकरण और नवउदारवाद ने महिलाओं के लिए नए अवसर पैदा किए लेकिन उनके शोषण को भी बढ़ाया।
- महिला आंदोलन और नीतिगत परिवर्तन लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- स्थानीय महिला आंदोलनों ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार पर दबाव बनाया है।
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