B. A. 3rd Sem. (Public Policy) Previous years Solved Questions

 Question.1. सार्वजनिक नीति के मूल्यांकन (Public Policy Evaluation) की अवधारणा एवं आवश्यक मानदंड

सार्वजनिक नीति का मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसमें किसी नीति (Policy) की प्रभावशीलता, सफलता, विफलता, उपयोगिता, लागत और उसके वास्तविक परिणामों का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। सरल शब्दों में, मूल्यांकन यह जांचता है कि—

  • नीति ने अपने उद्देश्यों को कितना पूरा किया?

  • नीति से समाज को वास्तविक लाभ हुआ या नहीं?

  • नीति को जारी रखा जाए, सुधारा जाए या समाप्त कर दिया जाए?

मूल्यांकन नीति-निर्माण का अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है क्योंकि यह नीति सुधार और भविष्य की नीतियों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है।


सार्वजनिक नीति मूल्यांकन के प्रकार (मुख्य रूप)

  1. पूर्व-मूल्यांकन (Pre-evaluation / Ex-ante Evaluation):
    नीति लागू होने से पहले उसके प्रभावों का अनुमान लगाना।
    उदाहरण: नई महिला सुरक्षा योजना लागू करने से पहले सरकार अनुमान लगाती है कि इससे अपराध दर में कितनी कमी आ सकती है।

  2. मध्यकालीन मूल्यांकन (Mid-term Evaluation):
    नीति लागू होने के दौरान इसकी प्रगति की समीक्षा।
    उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन के लागू होने के 3 साल बाद उसकी प्रगति की समीक्षा।

  3. पश्च-मूल्यांकन (Post Evaluation / Ex-post Evaluation):
    नीति समाप्त या पूरी तरह लागू होने के बाद उसकी सफलता/विफलता का आकलन।
    उदाहरण: शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून लागू होने के 10 वर्षों बाद बच्चों की नामांकन दर में हुए परिवर्तन का मूल्यांकन।


सार्वजनिक नीति मूल्यांकन के लिए आवश्यक मानदंड (Key Criteria for Policy Evaluation)

नीति का मूल्यांकन कई मानदंडों के आधार पर किया जाता है। मुख्य मानदंड इस प्रकार हैं—


1. प्रासंगिकता (Relevance)

यह जांचता है कि नीति समाज की वास्तविक समस्या और आवश्यकता को कितना संबोधित करती है।
उदाहरण: यदि किसी इलाके में बेरोज़गारी अधिक है, तो कौशल विकास योजना प्रासंगिक मानी जाएगी।


2. प्रभावशीलता (Effectiveness)

नीति अपने घोषित लक्ष्यों को कितना पूरा कर रही है।
उदाहरण: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना ने लिंगानुपात सुधारने में कितना योगदान दिया?


3. कुशलता / दक्षता (Efficiency)

नीति को लागू करने में संसाधनों (समय, धन, मानव संसाधन) का कितना सही उपयोग हुआ।
उदाहरण: 100 करोड़ खर्च करके 5 लाख लोगों को लाभ देना अधिक दक्ष माना जाएगा, जबकि वही खर्च केवल 50,000 लोगों को लाभ दे तो कम दक्षता समझी जाएगी।


4. प्रभाव (Impact)

नीति का समाज पर दीर्घकालीन असर क्या रहा—सकारात्मक या नकारात्मक।
उदाहरण: उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य सुधार, समय की बचत और सशक्तिकरण पर क्या प्रभाव डाला?


5. समानता / न्याय (Equity)

नीति से समाज के विभिन्न वर्गों को समान लाभ मिला या नहीं।
उदाहरण: क्या गरीब, महिलाएँ, विकलांग और अल्पसंख्यक समूहों को भी समान रूप से लाभ मिला?


6. स्थायित्व (Sustainability)

नीति के लाभ कितने लंबे समय तक टिकते हैं।
उदाहरण: यदि किसी जल संरक्षण योजना से वर्षा जल संचयन संरचनाएँ लंबे समय तक उपयोग में रह सकें, तो इसे टिकाऊ माना जाएगा।


सार्वजनिक नीति मूल्यांकन का महत्व

  • नीति की कमजोरियाँ और मजबूतियाँ सामने आती हैं।

  • संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होता है।

  • जवाबदेही (Accountability) बढ़ती है।

  • भविष्य की नीतियाँ अधिक प्रभावी बनती हैं।

  • लोकतांत्रिक शासन की गुणवत्ता में सुधार होता है।


निष्कर्ष

सार्वजनिक नीति का मूल्यांकन नीति-निर्माण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ समाज की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा कर रही हैं या नहीं। प्रभावशीलता, दक्षता, समानता, प्रभाव और स्थायित्व जैसे मानदंड मूल्यांकन को निष्पक्ष और वैज्ञानिक बनाते हैं।

Q. 2. “सफल नीति क्रियान्वयन (Successful Policy Implementation) के लिए आवश्यक शर्तें” —


सफल नीति क्रियान्वयन के लिए आवश्यक शर्तें

किसी भी सार्वजनिक नीति की सफलता केवल उसके निर्माण पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसके प्रभावी क्रियान्वयन (Implementation) पर निर्भर करती है। यदि नीति को सही तरीके से लागू न किया जाए, तो उसका उद्देश्य पूरा नहीं होता और संसाधनों की बर्बादी होती है। सफल क्रियान्वयन के लिए निम्न शर्तें आवश्यक मानी जाती हैं—


1. स्पष्ट एवं यथार्थवादी लक्ष्य (Clear and Realistic Objectives)

नीति के उद्देश्यों का स्पष्ट, सरल और यथार्थवादी होना आवश्यक है।

  • यदि लक्ष्य अस्पष्ट हों, तो अधिकारी और कार्यान्वयनकर्ता भ्रमित हो जाते हैं।
    उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन का “ओपन डिफेक्शन फ्री (ODF)” लक्ष्य स्पष्ट और मापने योग्य था, जिससे क्रियान्वयन में मदद मिली।


2. मजबूत प्रशासनिक संरचना (Strong Administrative Machinery)

नीति को लागू करने वाली एजेंसियाँ सक्षम, प्रशिक्षित और पर्याप्त संसाधन वाली होनी चाहिए।

  • कमजोर प्रशासनिक क्षमता क्रियान्वयन में बाधा बनती है।
    उदाहरण: मनरेगा के लिए जिला और गाँव स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति ने नीति को प्रभावी बनाया।


3. पर्याप्त वित्तीय संसाधन (Adequate Financial Resources)

किसी भी नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए पर्याप्त बजट आवश्यक है।

  • अपर्याप्त धनराशि से कार्य अधूरा रह जाता है।
    उदाहरण: आयुष्मान भारत योजना में अस्पतालों के भुगतान समय पर होने से लाभार्थियों को सेवाएँ मिल रही हैं।


4. समन्वय और सहयोग (Coordination & Cooperation)

विभिन्न विभागों, एजेंसियों और स्तरों के बीच अच्छा समन्वय आवश्यक है।
उदाहरण: पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan) में स्वास्थ्य विभाग, ICDS, स्कूलों और पंचायतों के बीच समन्वय होने से बेहतर परिणाम मिले।


5. राजनीतिक इच्छाशक्ति (Political Will)

सरकार और नेताओं की सकारात्मक इच्छाशक्ति क्रियान्वयन को मजबूती देती है।

  • राजनीतिक समर्थन से प्रशासनिक कार्य तेजी से होते हैं।
    उदाहरण: डिजिटल इंडिया को राजनीतिक समर्थन मिलने से डिजिटल सेवाएँ तेज़ी से फैल सकीं।


6. जनसहभागिता (Public Participation)

जनता का सहयोग, जागरूकता और समर्थन नीति को सफल बनाते हैं।
उदाहरण: जल जीवन मिशन में समुदाय की भागीदारी से जल संरक्षण और पाइपलाइन निर्माण तेजी से हुए।


7. प्रभावी नेतृत्व (Effective Leadership)

सशक्त नेतृत्व दिशा प्रदान करता है, समस्याओं का समाधान करता है और टीम को प्रेरित करता है।
उदाहरण: किसी जिले में अच्छा डीएम (DM) मिशन मोड कार्यों को तेजी से पूरा करवा सकता है।


8. समय पर निगरानी और मूल्यांकन (Timely Monitoring & Evaluation)

नीति के कार्यों की नियमित निगरानी आवश्यक है।

  • इससे समस्याएँ जल्दी पहचान में आती हैं।
    उदाहरण: स्कूल मध्यान्ह भोजन योजना की नियमित जांच से गुणवत्ता नियंत्रण में मदद मिलती है।


9. स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप क्रियान्वयन (Context Sensitivity)

नीति को स्थानीय जरूरतों, संस्कृति और परिस्थितियों के अनुसार ढालना चाहिए।
उदाहरण: पहाड़ी क्षेत्रों में रोड निर्माण नीतियों में भू-स्खलन और मौसम को ध्यान में रखना पड़ता है।


10. पारदर्शिता और जवाबदेही (Transparency and Accountability)

स्पष्ट जिम्मेदारियाँ, रिपोर्टिंग सिस्टम और भ्रष्टाचार-मुक्त वातावरण क्रियान्वयन की गुणवत्ता बढ़ाते हैं।
उदाहरण: DBT (Direct Benefit Transfer) प्रणाली ने योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाई।


निष्कर्ष

सफल नीति क्रियान्वयन प्रशासनिक क्षमता, वित्तीय संसाधन, राजनीतिक इच्छाशक्ति, जनसहभागिता और प्रभावी निगरानी जैसे अनेक कारकों पर निर्भर करता है। जब ये सभी शर्तें पूरी होती हैं, तब नीति समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने में सक्षम होती है।



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